बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने शर्मनाक बताया है। उन्होंने कहा है कि जब मुसलमान ऐसे काम करते हैं, तो हम शर्म से अपना सिर झुका लेते हैं, और इसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम है। सबसे पहले, किसी भी सभ्य समाज में किसी को भी दूसरे इंसान को मारने का हक नहीं होना चाहिए।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मदनी ने कहा, ”चाहे किसी ने कितनी भी बड़ी गलती क्यों न की हो, सजा देने का एक तरीका होता है, और उसी तरीके का पालन किया जाना चाहिए। इसके अलावा, अगर अपराधी मुसलमान हैं और पीड़ित गैर-मुस्लिम है, तो यह अपराध और भी बढ़ जाता है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं… किसी को मारना, या किसी को अपमानित करना, ऐसी कोई भी चीज इस्लाम इजाजत नहीं देता। इस्लाम किसी भी कीमत पर इसकी इजाजत नहीं देता। कितनी भी निंदा की जाए, कम है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस पूरे उपमहाद्वीप में कट्टरवाद बढ़ रहा है, और इसे रोकना होगा। इस क्षेत्र में और दुनियाभर में इसका मुकाबला करना होगा। दुनिया भी ऐसी ही स्थिति का सामना कर रही है, जिसका मुकाबला करना जरूरी है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शनिवार को कहा कि एक हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
मैमेनसिंह शहर में गुरुवार को भीड़ ने दीपू चंद्र दास (25) की पीटकर हत्या कर दी थी और शव को आग लगा दी थी। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने ‘एक्स’ पर लिखा कि रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) ने मामले में संदिग्ध के तौर पर 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि आरएबी और पुलिस ने इन लोगों को गिरफ्तार करने के लिए अलग-अलग जगहों पर अभियान चलाया। विभिन्न स्थानों पर अभियानों के दौरान गिरफ्तारियां की गईं और गिरफ्तार लोगों की उम्र 19 से 46 साल के बीच है।
