बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव है। इसको लेकर राजनीतिक दलों ने अभी से ही तैयारी शुरू दी है। इस बीच प्रदेश कांग्रेस ने पार्टी शीर्ष नेतृत्व को अकेले चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया है।
बंगाल कांग्रेस का कहना है कि वाममोर्चा के साथ गठबंधन का कोई राजनीतिक फायदा नहीं है, इसलिए अकेले लड़ना ही सबसे मुफीद है। वहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी माकपा नेतृत्व वाले वामपंथी दलों के गठबंधन वाममोर्चा के साथ समझौते के पक्ष में हैं।
प्रदेश की मौजूदा इकाई का मानना है कि अगर नेतृत्व ये तय करे कि वाममोर्चा के साथ गठबंधन हो तो 50-50 के फार्मूले पर हो। इससे पहले वाममोर्चा के साथ गठबंधन 2:1 के अनुपात पर होता था लेकिन अब प्रदेश कांग्रेस आधे-आधे सीट पर लड़ना चाहती है। प्रदेश कांग्रेस 100 से 125 सीट पर चुनाव गंभीरता से लड़ना चाहती है।
इसे लगता है कि इस स्थिति में वह 15 से 25 सीट जीतने की स्थिति में होगी क्योंकि अभी भी दो तीन जिले जैसे मालदा, मुर्शिदाबाद, कूचबिहार जैसे इलाकों में कांग्रेस की उपस्थिति अच्छी है। हालांकि, अभी तक इसको लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
शुक्रवार को कोलकाता में कांग्रेस की राज्य कमेटी की बैठक में इस पर विचार होगा। दरअसल, पिछले चुनावों में कांग्रेस को गठबंधन से निराशा हुई थी। 2021 के चुनाव में कांग्रेस ने वाममोर्चा और इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ गठबंधन किया था। कांग्रेस करीब 92 सीटों पर लड़ी थी। मगर वह एक भी सीट नहीं जीत सकी।
